गेंहू और चावल की बढ़ती कीमतों को देख सरकार की बढ़ी टेंशन, मजबूरी में लेना पड़ा ये बड़ा फैसला

सरकार ने गेहूं और चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। इसके परिणामस्वरूप सरकार ने खुले बाजार में 25 लाख टन चावल और 50 टन अतिरिक्त गेहूं बेचने का निर्णय लिया है। बुधवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने यह जानकारी दी। उनका दावा था कि गेहूं और चावल की कीमतों में हाल में भारी वृद्धि हुई है। ऐसे में, ग्राहकों को राहत देने के लिए घरेलू उपलब्धता बढ़ाई गई है। 15 लाख टन गेहूं और पांच लाख टन चावल की बिक्री, जो कुछ महीने पहले घोषित खुला बाजार बिक्री योजना का हिस्सा है।
उन्होंने कहा सरकार ने चावल का आरक्षित मूल्य दो रुपये प्रति किलोग्राम घटाकर 31रुपये से 29 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है, जैसा कि खाद्य सचिव ने बताया। लेकिन ओएमएसएस के तहत व्यापारियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है, इसलिए गेहूं का आरक्षित मूल्य अपरिवर्तित रखा गया है। 28 जून से, एफसीआई खुली बिक्री के तहत छोटे व्यापारियों और थोक खरीदारों को गेहूं और चावल बेच रहा है।
राष्ट्र में पर्याप्त भंडार: खाद्य सचिव ने कहा कि देश में पर्याप्त मात्रा में गेहूं और चावल है। एफसीआई के पास पर्याप्त खाद्य भंडार है। उन्होंने कहा कि इसमें 217 लाख टन चावल और 87 लाख टन गेहूं उपलब्ध हैं, जो बफर मानदंडों से अधिक है।
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इन कारणों से बढ़ोतरी
इन कारणों से सरकार ने अनाज की कीमतों में लगातार और तेज इजाफे के बीच फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यह बढ़ोतरी की है। असामान्य मानसून और बेमौसम बारिश ने भी अनाज की कीमतों को प्रभावित किया है।
कीमतों में तेज वृद्धि
जून से गेहूं और चावल की कीमतें बढ़ने लगी हैं। चावल की कीमतों में 20 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। वहीं गेहूं की कीमतों में पिछले चार महीने में 18% की बढ़ोतरी हुई है। यह छह महीने का उच्चतम स्तर है।