Mughal History : देखिए कैसे मुगल साम्राज्य इस खर्चीले बादशाह ने सल्तनत को कंगाल बना दिया

 
Mughal History : देखिए कैसे मुगल साम्राज्य इस खर्चीले बादशाह ने सल्तनत को कंगाल बना दिया

Mughal History :- शाहजहां, मुगल सम्राट के सबसे अमीर बादशाह, ने अपने शासनकाल में अपने पूर्वजों से अधिक धन इकट्ठा किया, लेकिन इतना लुटाया भी कि सल्तनत कंगाली की कगार पर पहुंच गई।

बाबर ने हिंदुस्तान में मुगल सल्तनत की स्थापना की, लेकिन अकबर ने इसे समृद्ध बनाया। शाहजहां ने जो अकबर और उसके बाद सत्ता में आया जहांगीर नहीं कर सका, उसे कर दिखाया। शाहजहां के शासनकाल को मुगल साम्राज्य का स्वर्णयुग कहा जाता है, लेकिन इसे बर्बाद करने का श्रेय भी दिया जाता है।

इतिहासकारों ने कहा कि शाहजहां मुगल साम्राज्य में सबसे अधिक धन खर्च किया था। शाहजहां के शासनकाल में सल्तनत की आय बढ़ गई थी और वह दुनिया का सबसे अमीर बादशाह था, लेकिन उसकी सबसे बुरी आदत थी खर्च करना। इतिहासकार कहते हैं कि शाहजहां की इसी बुरी आदत ने शाही खजाना पूरी तरह से खाली कर दिया।

शाहजहां ने पूर्वजों की कमाई से अधिक धन खर्च किया

शाहजहां के शासनकाल में इतना धन लुटा गया कि उसके पूर्वजों ने वर्षों में भी नहीं कमाया था। शाहजहां की पीढ़ी के दो इतिहासकार लुब्ध उत तवारीखे हिंद और वृंदावन ने इसका उल्लेख किया है। उनका लेख है कि शाहजहां अपने पूर्ववर्ती शासनकाल में मुगल सल्तनत पर कई गुना अधिक धन खर्च करता था। इसके बावजूद, बादशाह की संपत्ति इतनी बड़ी थी कि उसके पूर्वजों ने कई वर्षों के शासनकाल के बाद भी एकत्र नहीं कर सका।

मुगल साम्राज्य का प्राचीन काल

शाहजहां के समकालीन इतिहासकार खाफी खां ने शाहजहां के शासकाल को सल्तनत का स्वर्ण युग बताया। खाफी खां ने कहा कि अकबर महान विजेता और व्यवस्थापक था, लेकिन देश की व्यवस्था, वित्त प्रबंध तथा सल्तनत के संचालन की नजर में उसकी तुलना नहीं हो सकती।

शाहजहां ने कैसे धन लुटाया

शाहजहां को इतिहास में कला प्रेमी बताया गया है; उसके शासनकाल में ही दिल्ली का लाल किला, ताजमहल और दिल्ली की जामा मस्जिद बनाई गईं, जो उस समय की स्थापत्य कला का उदाहरण हैं। किंतु ऐसा माना जाता है कि शाहजहां ने इन इमारतों के निर्माण में बहुत पैसा खर्च किया था। मुगल भारत का इतिहास पुस्तक के अनुसार, ताजमहल को बनाने में उस समय लगभग 3 करोड़ मुगल रुपये खर्च हुए।

तख्त-ए-ताऊस पर लुटाई गई संपत्ति

शाहजहां ने इमारतों पर पैसा नहीं खर्च किया; वह अपने लिए एक सिंहासन बनाया, जिसे "तख्त ए ताऊस" कहते थे. यह पांच गज ऊंचा, दो गज चौड़ा और तीन गज लंबा था, और इसमें मोती, हीरे पन्ने और लाल पत्थर जड़े हुए थे। आसन तक पहुंचने के लिए तीन सीढ़िया थीं, जिन पर अनगिनत रत्न लगे थे, और बारह छोटे-छोटे स्वर्ण जड़ित स्तंभ भी थे।

शाहजहां की विलासप्रियता ने कंगाली को जन्म दिया

इतिहासकार कहते हैं कि शाहजहां ने अपने शासनकाल में बहुत सारे धन खर्च किए। यही मुगल सल्तनत में विद्रोह का कारण बन गया। मुगल भारत का इतिहास पुस्तक कहती है कि शाहजहां अपने शासनकाल में जनता पर ध्यान ही नहीं दे सका क्योंकि वह इतना संपन्न था। शाही खजाने की हालत तख्त से उसके हटते तक बहुत खराब हो गई थी क्योंकि वह बहुत खर्चीला था। उस समय भारत आए एडवर्ड और गैरेट ने लिखा कि शाहजहां के शासनकाल से मुगल स्वर्ण युग समाप्त हो गया था। स्मिथ यहां तक कहते हैं कि शाहजहां के शासनकाल में बनाए गए ताजमहल की सुंदरता ने इतिहासकारों को मोहित कर दिया और उसके अपराधों को भूलकर उसका गुणगान किया।

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