Mughal Harem में हिंदू महिलाओं के साथ क़ैसा व्यवहार करती थी खूबसूरत रानियाँ, सच्चाई जानकर आप भी हिल जाएंगे

Mughal Harem Hindu Women: क्या मुगल साम्राज्य भारत के लिए सकारात्मक या नकारात्मक काल था? यह एक सामान्य प्रश्न है जिसमें लोगों की रुचि है। मुगलों ने लंबे समय तक भारत पर शासन किया और इस क्षेत्र में जीवनशैली को बदलने का प्रयास किया। मुगल काल के दौरान हरम काफी बहस का विषय रहा है। लोग हरम और शासकों की बेगम के साथ रहने वाली महिलाओं के बारे में जानने के लिए किताबों और विशेषज्ञों से जानकारी लेते हैं।
बाबर ने मुग़ल हरम की शुरुआत की, लेकिन अकबर ने इसके आकार और प्रभाव का बहुत विस्तार किया। दिलचस्प बात यह है कि मुगल हरम में हिंदू महिलाएं भी रहती थीं। अब हम बताएंगे कि इस हरम में हिंदू महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था।
सबसे पहले हम आपको मुगल हरम के बारे में जानकारी देना चाहते हैं। मुगल राजा बाबर ने महल में रहने वाली शाही परिवार की महिलाओं के लिए इस प्रणाली की स्थापना की थी। केवल शासकों की पत्नियों और रिश्तेदारों को ही वहाँ रहने की अनुमति थी, और राजा के अलावा कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता था। यहां यह बताना जरूरी है कि हरम में महिलाओं की निगरानी की जिम्मेदारी पुरुष सुरक्षा गार्डों की बजाय किन्नरों को दी जाती थी।
"मुग़ल हरम" शब्द अरबी भाषा से आया है और इसका मतलब है कि इसमें केवल राजा को ही प्रवेश की अनुमति है। अतीत में, मुगल सम्राटों ने हिंदू महिलाओं, विशेषकर राजपूत समुदाय से, से शादी की और उन्हें हरम में रखा। ऐतिहासिक अभिलेखों में हरखा बाई, हीर कुँवर और जगत गोसाई जैसी हिंदू महिलाओं के नामों का उल्लेख है, जो मुगल सम्राटों की पत्नियाँ थीं।
यह सर्वविदित है कि हरम में रहने वाली हरखा बाई अकबर की पसंदीदा पत्नियों में से एक थी। हरखा बाई के लिए हरम में विशेष व्यवस्था थी और वहां रहने वाली अन्य महिलाएं उनका सम्मान करती थीं। उन्हें 'मरियम-उज़-ज़मानी' की उपाधि दी गई। इसका मतलब यह है कि हरम में हिंदू महिलाओं के साथ अन्य समुदायों की महिलाओं के समान व्यवहार किया जाता था।